दुनियाँ को यथेष्ट से समझ पाना आसान नहीं है। दुनियाँ को यथेष्ट से समझ पाना आसान नहीं है।
मैं बूढ़ी हो चुकी हूँ। मैंने तो आज तक कभी ऐसा नहीं माना। पर आज मुझे इस बात को सोचना पड़ा। मैं बूढ़ी हो चुकी हूँ। मैंने तो आज तक कभी ऐसा नहीं माना। पर आज मुझे इस बात को सोच...
लेकिन फिर भी मैं खामोश होकर जोर-जोर से चीखना चाहती हूं और अपने अन्दर के गुस्से को बाहर लेकिन फिर भी मैं खामोश होकर जोर-जोर से चीखना चाहती हूं और अपने अन्दर के गुस्से क...
उसे उस दिन अहसास हुआ कि जीवन में छायादार वृक्ष का होना कितना जरूरी है। उसे उस दिन अहसास हुआ कि जीवन में छायादार वृक्ष का होना कितना जरूरी है।
वत्सल को बाबूजी की आँखों में अपनी बहन वीणा का दर्द साफ नजर आ रहा था। वत्सल को बाबूजी की आँखों में अपनी बहन वीणा का दर्द साफ नजर आ रहा था।
कागज की किश्तियाॅ तैराने की माद्दा पैदा करनी होगी जिसके प्रति वह संवेदनशील है। कागज की किश्तियाॅ तैराने की माद्दा पैदा करनी होगी जिसके प्रति वह संवेदनशील है।